यीशु मसीह के शैशव काल के पहहल सुसमाचार अध्याय 1 1 हमरा सभ केँ यूसुफ महापुरोहहतक पुस्तक म हिम्नहिखित हििरण भटि, जकरा हकछु काइफा कहैत छि 2 ओ कहैत छहि ज यीशु पाििा म रहिा पर सहो बजैत छिाह आ अपि माय केँ कहिहिि। 3 मररयम, हम परमश् िरक पुत्र यीशु छी, ओ िचि ज अहाेँ हजब्राईि स् िर्गदूत द्वारा अहाेँ केँ कहि र्ि अहछ आ हमर हपता हमरा संसारक उद्धारक िि पठौि छहि। 4 हसकन्दरक युर्क तीि सय िौम िर्ग म अर्स्तस एकटा फरमाि प्रकाहशत किहि ज सभ व्यखि केँ अपि दश म कर िर्ाबय िि जबाक चाही। 5 यूसुफ उठिाह आ अपि जीििसािी मररयमक संर् यरूशिम र्िाह आ फर बतिहम आहब र्िाह जाहह सेँ हुिका आ हुिकर पररिार केँ हुिकर पूिगजक िर्र म कर िर्ाओि जाय। 6 जिि ओ सभ र्ुफाक कात म पहुेँचिाह तिि मररयम यूसुफ केँ स्वीकार कयिहि ज हुिकर जन्मक समय आहब र्ि अहछ, आ ओ शहर म िहह जा सकिीह। 7 ओहह समय सूयागस्तक बहुत िजदीक छि। 8 मुदा यूसुफ जल्दी-जल्दी चहि र्िाह, जाहह सेँ ओ ओकरा एकटा दाई आहि सकहि। जिि ओ यरूशिमक एकटा बूढी इब्रािी स् त्री केँ दखि कऽ कहिहिि, “प्रािगिा करू, िीक स् त्री, एतऽ आहब कऽ ओहह र्ुफा म जाउ, तिि अहाेँ ओतय एकटा स् त्री केँ दिब ज एििहह बच्चा केँ जन्म दबाक िि तैयार अहछ।” 9 सूयागस्तक बाद बुहढया आ यूसुफ हुिका संर् र्ुफा म पहुेँचिाह आ दु िू र्ोट ओहह र्ुफा म र्िाह। 10 दिू, सभटा इजोत सेँ भरि छि, ज दीपक आ मोमबत्तीक इजोत सेँ पैघ आ सूयगक इजोत सेँ पैघ छि। 11 तिि हशशु केँ िपहट क' कपडा म िपटि र्ि, आ ओकर माय सेंट मैरीक स्ति चूहस िि र्ि। 12 ई इजोत दखि दु िू र्ोट आश्चयग चहकत भऽ र्िाह। बुहढया सें ट मैरी सेँ पुछिकै, की अहाेँ एहह बच्चाक माय छी? 13 सेंट मैरी उत्तर दिहिि, ओ छिीह। 14 ओहह पर बुहढया बजिीह, “अहाेँ सभ स्त्रीर्ण सेँ बहुत हभन्न छी।” 15 संत मररयम उत्तर दिहिि, “जहहिा हमर बटा जकाेँ कोिो बच्चा िहह अहछ, तहहिा ओकर माय जकाेँ कोिो स्त्री सहो िहह अहछ।” 16 बुहढया उत्तर दिहिि, “ह हमर महोदया, हम एतय आहब र्ि छी ज हमरा अिन्त पुरस्कार भटय।” 17 तिि हमर स् त्री संत मररयम हुिका कहिहिि, “हशशु पर हाि रािू। ज जिि ओ क' ििहि तिि ओ स्वस्ि भ' र्िीह। 18 जिि ओ आर्ू बढै त छिीह तिि ओ बजिीह, “आब सेँ हम अपि जीिि भरर एहह हशशु केँ दिभाि करब आ ओकर सिक बिब।” 19 एकर बाद जिि चरबाह सभ आहब कऽ आहर् िर्ा दिक आ ओ सभ बहुत आिखन्दत भऽ र्ि तेँ स्वर्ीय सिा हुिका सभ केँ प्रकट भि आ परमश् िरक स्तुहत आ आराधिा किक। 20 जिि चरबाह सभ एकहह काज म िार्ि छि, तिि ओहह समय म र्ुफा एकटा र्ौरिशािी मखन्दर जकाेँ बुझाइत छि, हकएक तेँ प्रभु मसीहक जन्मक कारण ेँ स् िर्गदूत आ मिुष्य दु िूक भार्ा परमश् िरक आराधिा आ महहमा करबाक िि एकजुट भऽ र्ि छि। 21 मुदा बूढी हहब्रू स् त्री जिि ई सभटा चमत् कार दखि परमश् िरक स्तुहत कयिहि आ कहिहिि, “ह परमश् िर, ह इस्राएिक परमश् िर, हम अहाेँ केँ धन्यिाद दै त छी, हकएक तेँ हमर आेँ खि संसारक उद्धारकतागक जन्म दििहुेँ।” अध्याय 2 1 जिि हुिकर ितिाक समय आहब र्िहि, अिागत् आठम हदि, जाहह हदि धमग-हियम म बच्चाक ितिा करबाक आज्ञा दि र्ि छि, तिि ओ सभ ओकरा र्ुफा म ितिा क’ दिक।
2 ओ बूढी हहब्रू महहिा अग्रचमग (दोसर िोक कहैत छहि ज ओ िाहभक तार ि' ििहि) ि' क' ओकरा चमडाक पुराि तिक अिबास्टरक हिब्बा म सुरहित क' ििहि। 3 हुिका एकटा बटा छिहि ज िशािोर छिहि, जकरा ओ कहिहिि, “सािधाि रहू, अहाेँ एहह अिाबास्टरक हिब्बा म चीर-मिम िहह बचब, यद्यहप एकर बदिा म अहाेँ केँ तीि सय पेंस चढाओि जाय।” 4 ई ओ अिबास्टरक हिब्बा अहछ जकरा पापी मररयम बिा कऽ हमरा सभक प्रभु यीशु मसीहक माि आ पएर पर मरहम ढारर दिहि आ मािक I कश सेँ पोहछ दिहि। 5 दस हदिक बाद ओ सभ हुिका यरूशिम अििहि आ हुिकर जन्मक चािीसम हदि हुिका िि प्रभुक समि मि् हदर म भेंट कयिहि आ मूसाक हियमक अिुसार हुिका िि उहचत बहिदाि कयिहि ज िर र्भग िोित स परमश् िरक समि पहित्र कहि जायत। 6 ओहह समय म बूढ हसमोि हुिका इजोतक िंभा बहि चमकैत दििहि, जिि हुिकर माय संत मररयम कुमारर हुिका अपि कोरा म ि' ििहि आ ई दखि सभ सेँ बसी प्रसन्नता भ' र्िाह। 7 स् िर्गदूत सभ हुिका चारू कात ठाढ भऽ हुिकर आराधिा करै त छिाह, जिा राजाक पहरदार हुिका चारू कात ठाढ रहैत छहि। 8 तिि हशमोि संत मररयमक िर् जा कऽ हुिका हदस हाि बढबैत प्रभु मसीह केँ कहिहिि, “ह हमर प्रभु, अहाेँक सिक अहाेँक िचिक अिुसार शाखन्तपूिगक चहि जायत। 9 हमर आेँ खि अहाेँक दया दििहुेँ ज अहाेँ सभ जाहतक उद्धारक िि तैयार कि छी। सभ िोकक िि इजोत आ अहाेँक प्रजा इस्राएिक महहमा। 10 भहिर्् यिक् ता हन्ना सहो उपखस्ित छिीह आ हुिका िर् आहब कऽ परमश् िरक स्तुहत कयिहि आ मररयमक सुिक उत्सि मिौिहि। अध्याय 3 1 राजा हरोदसक समय म जिि प्रभु यीशु यहूहदयाक िर्र बतिहम म जन्म ििहि। ज्ञािी िोकहि पूरब सेँ यरूशिम आहब र्िाह, जोरािाशक भहिष्यिाणीक अिुसार, आ अपिा संर् बहि-बहि अिागत सोिा, िोबाि आ र्ंधक अििहि आ हुिकर आराधिा कयिहि आ हुिका अपि िरदाि चढौिहि। 2 तिि ििी मैरी अपि एकटा िपटबिा कपडा िऽ कऽ ज हशशुकेँ िपटि छि आ ओकरा सभकेँ आशीिागदक बदिा दऽ दिक, ज ओकरा सभकेँ हुिकासेँ एकटा अत्यंत उदात्त उपहारक रूपम भटि। 3 ओही समय हुिका सभ केँ ओहह ताराक रूप म एकटा स् िर्गदूत प्रकट भिाह ज पहहि हुिका सभक यात्रा म मार्गदशगक छिहि। जकर प्रकाशक पाछाेँ-पाछाेँ चिैत रहिाह जाबत धरर ओ सभ अपि दशम घुरर िहह र्िाह। 4 घुरिा पर हुिका सभक राजा आ राजकुमार सभ हुिका सभ िर् आहब पुछैत छिाह ज, “ओ सभ की दििहुेँ आ की किहुेँ?” कहि यात्रा आ िापसी छिहि? सडक पर हुिका िोकहिक कोि कंपिी छिहि? 5 मुदा ओ सभ ओहह िपटबाक कपडा तैयार कयिहि ज संत मररयम हुिका सभ केँ दि छिीह, जाहह कारण ेँ ओ सभ भोज मिाबैत छिाह। 6 अपि दशक प्रिाक अिुसार आहर् िर्ा कऽ ओकर आराधिा कयिहि। 7 आहर् ओकरा िऽ कऽ राखि ििक। 8 जिि आहर् बुहझ र्ि तिि ओ सभ ओहह िपटक कपडा केँ हबिा कोिो चोट केँ बाहर हिकाहि ििक, जिा आहर् ओकरा िहह छूहब र्ि हो। 9 तिि ओ सभ ओकरा चुम्मा िबऽ िर्िाह आ ओकरा माि आ आेँ खि पर राखि कऽ कहिहिि, “ई बात हिस्संदह सत्य अहछ, आ ई सचमुच आश्चयगक बात अहछ ज आहर् ओकरा जरा िहह सकि आ ओकरा भस्म िहह क’ सकि।” 10 तिि ओ सभ ओकरा ि’ ििक आ ओकरा सभ केँ बहुत आदरपूिगक ओकरा अपि िजािा म राखि दिक। अध्याय 4 1 हरोदस ई बुहझ कऽ ज ज्ञािी िोक सभ दरी कऽ कऽ हुिका िर् िहह घुरर र्िाह, ओ पुरोहहत आ ज्ञािी सभ केँ बजा कऽ कहिहिि, “हमरा कहू ज मसीहक जन्म कोि स्िाि म हबाक चाही?” 2 जिि ओ सभ उत्तर दिहिि, यहूहदयाक एकटा िर्र बतिहम म, ओ प्रभु यीशु मसीहक मृत्युक हिर्य म अपिा मोि म सोचय िर्िाह।