Research Paper
Education
E-ISSN No : 2454-9916 | Volume : 3 | Issue : 7 | July 2017
EXPAND THE VALUE OF CLEANLINESS THROUGH EDUCATION
िश ा के मा म से
ता के मू
ो ं का िव ार
Dr. Narendrakumar S. Pal Assistant Teacher, Bharkunda Primary School, Kathlal, Kheda. ABSTRACT In the present paper researcher tried to explain in detail about the importance of cleanliness and other aspects related to it. Researcher discussed about the present status of cleanliness in India, awareness in cleanliness in the other countries and in India, efforts made by India for cleanliness and how cleanliness is related to education. ावना : भारत एक लोकता क दे श है, िजसमे िविभ सं ृ ितयो ं का सम य बेहतर तरीके से थािपत आ हैI िविभ सं ृ ितयो ं के साथ साथ सां ृ ितक मू ो ं का भी िवकास, िव ार और आदान दान होता रहता हैI लेिकन आज भी सां ृ ितक मू ो ं के साथ साथ सामािजक मू ो ं की थापना होने के बावजूत सामािजक प रवेश म मू ो ं का अनुपालन कम होता होता दे खा जा सकता हैI िशि त लोग भी कई बार मू ो ं का सामािजक प रवेश म अनुपालन नही ं करते है, िजसकी वजह से अिशि त लोगो से मू ो ं के अनुपालन म उ ीद करना गलत हैI आज दु िनया की नजरे भारत पर िटकी है, लेिकन भारत म ता की और लोगो का झकाव ु काम होने की वजह से कई बार दे श - दु िनया म काफी आलोचना का सामना भी करना पड़ता हैI भारत के वतमान धानमं ी ी नर मोदी जी के ता को िमशन बनाकर इस और कदम बढ़ाया हैI इस छता के मू ो ं को समाज म सु ढ़ प से थािपत करने हेतु कुछ सुझाव इस आिटकल म ुत हैI “घर – समाज को रखो साफ, भिव
नही ं करे गा वरना माफ़.”
ता एक मू : ता एक काय न समझते ए सामािजक प रवेश म गत मू ो ं की तरह लेना उिचत हैI गत प से छता के मू ो ं का िसंचन बचपन से मानस मन म उतरना ज री हैI यिद बचपन म बालक मन और म म छता के बारे म उिचत वातावरण के साथ साथ उनके फायदे और अ ाइओ के बारे म समझाया जाये तो आने वाले भिव म ता को लेकर कोई िमशन शु करने की ज रत ही नही ं रहेगीI आज भारत म ही नही ं पुरे िव म मानव मू ो ं म िगरावट दे खने को िमल रही हैI ऐसे म िविभ मू ो ं के िवकास म ता का मू कुछ इस कार से िदया जाना चािहए की सभी लोग गंदकी के ित नफरत करने लगेI िजससे तः ही पयावरण और आसपास सफाई होती रहेI गंदे कूड़े , कही भी सावजािनक थान पर थूकना , पान - गुटका , मसाले इ ािद खाकर थूकना, कही भी िकसी भी थान पर िकसी भी तरह का कचरा डालना इ ािद चीजो ं को करने से मन म संकोच हो, इस कार का वातावरण िनिमत करके, सबकी सोच बदलने का यास करना चािहएI “
ीन िसटी, ीन िसटी, यही मेरी है डीम िसटी.”
पि मी दे शो की ता के ित सोच और व था : अमे रका, यूरोप और अ पि मी दे शो की ता के मू ो ं के ित जाग कता एवं िश ण म ता के मू ो ं को ाथिमकता दे ना ही उनकी कामयाबी हैI आज पि मी दे शो म बालक ज से दे खते है और अनुभव करते है की उनके आसपास के लोग अपने आसपास के सावजिनक थान और धरोहरो ं को रखते और पूरी तरह से अपने पयावरण को साफ़ सुथरा रखने का यास करते है . यह सब दे खकर ज से बालक जैसे जैसे बड़े होते जाते है, तः ही ता के मू ो ं को जानके आपने म उतार लेते हैI साथ ही बालक अपने िश ण हण करने के समय छता के मू ो ं ,फायदे और जीवन को बेहतर रखने के िलए ता की िदशा पर करने वाले काय से अवगत करवाते रहते हैI िजनसे बालको को शैि क िश ण के साथ ावहा रक िश ा भी पुरे तरह से अपने म उतारने का अवसर तः ही ा होता है . साथ साथ सफाई के ित उदासीन होने पर वहा के दे शो म बनाये गए कड़े िनयमो और दं ड के ावधान के तहत एक सु व थत व था का प रचय भी करवाया जाता हैI िजससे गलती से भी अपने पयावरण के ित उदासीनता के िलए दं डा क कायवाही से डराया भी जाता हैI
इस तरह के सु व थत िशि क, पयावरणीय और सामािजक प रवेशो ं म पलने बढ़ने वाले पि मी दे शो के ब ो और नाग रको म तः ही ता के मू ो ं का गहरा भाव दे खा जा सकता हैI साथ साथ ता के मू ो ं का सही ढं ग से सही िदशा म अनुपालन भी दे खा जा सकता हैI इन सब वजहो ं से कई पि मी दे शो का ता के बारे म भारत से काफी आगे थान दे खा जा सकता हैI भारत म ता के स भ म करने जैसे यास : भारत म वतमान धानमं ी ी नर मोदी जी के यासो ं से आज भारत म ता को लेकर सभी वग म काफी जाग कता दे ख जा सकती हैI सभी वग और आयु के लोग आपने आसपास के पयावरण को लेकर ता रखते दे खे जा सकते हैI लेिकन कई बार इन यासो ं म कुछ अ यासो ं की आव कता रहती है, िजनसे भिव म ता को लेके अलग से कोई भी िमशन चलने की ज रत ही न रहेI इस िदशा म आज ही ऐसे यास िकये जाने चािहए की आने वाली सभी पीिढ़यो ं को ता के मू ो ं को ज से ही उनमे दे खा जा सकेI “
ता अपनाओ, समाज म खुिशयाँ लाओ.”
इन यासो ं के तहत ज री है की वतमान भारतीय िश ा णाली म कुछ बदलाव करा जाए I िजससे की बालक शु आती िश ा हण करते समय से ही ता को समाज सके और ता के ित मू स ंिधत ान ा कर सके I ू ल शु करते समय ही िव ािथयो ं को आपने ू ल के पयावरण , पा म , िश को ं के ार से इन मू ो ं से चुपचाप से गहराई म जाके अनुभव कर सके और पालन कर सके I साथ साथ िश ा और ता को लेकर कुछ दं डा क या अ सजा का िनमाण करना चािहए की ब ो को उस दं ड म भी ता का ान ा हो सके I यिद कोई आपने आसपास िकसी भी कार की गंदकी फैलता है , तो उसे भिव म ऐसा करने से तः ही खुद को रोक सके ऐसा सवेदनशील नाग रक बनाने का यास िकया जाना चािहए I कई बार किठन दं ड दे ने के प रणाम प आ खर म अ ा सुधर दे खा जाए तो इस वजह से दं ड को कुछ किठन भी करा जाए तो उिचत है I साथ साथ ब ो को सफाई के ित िकये गए अ े यासो ं और योगदानो के िलए पुर ृ त भी करना अितआवशयक है I ऐसा करने से अ े काय से िकये गए अ े पुर ारो ं की अिभलाषा भी बालको के अंतमन म यं िश और अ ा नाग रक बना दे ती है I छता और ु ार से ब ा कब ता के मू ो ं को अपने म उतार लेता है की ये कुछ समय बाद बालको म दे खे जाने वाले अनुपालन से दे खा जा सकता है I पा मम ता से जुड़े पहलुओ ं के सिम ण से उ बढ़ने के साथ साथ िश ा म ए बदलाव और मू ो ं के उ र पर ले जाने म सहायता िमलती है I पठय म म ारा िश ा के साथ साथ छता के मू ो ं को मब तरीके से बालको म उतरा जा सकता है I ू ल, गॉव, पयावरण जैसे कई ोजे ो ं का िनमाण करवाना चािहए I ादा से ादा लोगो तक ता के मू ो ं को पहोचाना और समझाना और अनुपालन करवाने जैसे कई काय मो ं का िनमाण करना ज री है I ब े सामूिहक भागीदारी से और अपने आसपास के लोगो को भी समझने के यासो ं से अपने अंदर के े यसो ं के ज रये सफलता ा करने का यास करगे I िजनसे बालको के मन और सोच के साथ साथ आदतो ं को बदलते ए आसपास के पयावरण को भी बनाया जा सकता है I साथ ही इन सब ता के यासो ं को लोगो के व थत सुचा काय होता रहे उसके िलए लोगो की टीम बनाने की व था का भी सुझाव दे ना चािहए I िश को ं को भी अपने अचार - िवचार और
ार से
ता के मू
ो ं का दशन िव ािथयो ं
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