हजरत ख्वाजा मुईनुद्दीन चिस्ती रहमतुल्लाह अलैहि की जिन्दगी Part 1 हिन्दी मे

वलादत बा सआदत ख्वाजा-ए-ख्वाजगां हजरत ख्वाजा मुईनुद्दीन हसन अली अजमेरी रहमतुल्लाह अलैहि 537 हिजरी में खुरासान प्रांत के सन्जर नामक गांव में पैदा हुए। सन्जर कन्धार से उत्तर की जानिब है। और आज भी वह गांव मौजूद है। कई लोग इसको सजिस्तान भी कहते है। ख्वाजा के वालिद का नम सैय्यद गियासुद्दीन हसन है, वह आठवीं पुश्त में हजरत मूसा काजिम के पोते होते है। वालिदा का नाम बीबी उम्मुलवरा उर्फ बीबी माहे नूर है जो चन्द वास्तों से हजरत इमाम हसन की पोती होती है। इसलिए आप बाप की तरफ से हुसैनी औरमाँ की तरफ से हसनी सैय्यद है। आप की वालिदा हजरत बीबी उम्मुलवरा से रिवायत है कि जिस वक्त मेरा नूरे नजर मुईनुद्दीन शिकम (गर्भ) में आया मेरा घर खैर व बरकत से मामूर नजर आने लगा। जो लोग हमारे दुश्मन थे मुहब्बत से पेश आने लगे। कई बार मुझे खूबसूरत ख्वाब नजर आते थे। जिस वक्त अल्लाह तआला ने आपके जिस्म में जान डाली इस वक्त से यह मामूल हो गया था कि आधी रात से लेकर सुबह तक मेरे शिकम से तस्बीह व तहलील की आवाज आती थी। मैं उस मुबारक आवाज में सरशार हो जाती थी। जब आप पैदा हुए तो मेरा घर नूर से जगमगा उठा। Visit more

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